
वंदेभारतलाइवटीव न्युज-: ।। नवरात्र विशेष ।। नवरात्रि साल में दो बार मनाई जाती है। प्रथम नवरात्र वर्ष के चैत्र मास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि पर आरंभ होता है। और नवमीं तिथि श्रीराम नवमीं के साथ संपन्न होता है। वसंत ऋतु में होने से इसे वासंतीय नवरात्र भी कहा जाता है। दूसरी नवरात्रि अक्टूबर नवंबर के आसपास क्वांर महिने की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि पर आरंभ होता है और दसवीं तिथि पर विजयादशमीं पर्व के साथ संपन्न होता है। इसे शारदीय नवरात्र भी कहा जाता है। नवरात्र के प्रथम दिवस घटस्थापना की जाती है। घटस्थापना के साथ ही देवी भगवती दुर्गा मता का आह्वान किया जाता है। घटस्थापना के साथ साथ मां दुर्गा भवानी का नौ दिनों के लिए घरों मे वास माना जाता है। चैत्र नवरात्र नवरात्रि में मां दुर्गा के विभिन्न नौ स्वरूपों की अलग अलग पूजा आराधना की जाती है। इस वर्ष 2025 में वर्ष की पहली नवरात्रि चैत्र मास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि 30 मार्च 2025रविवार को आरंभ हो रही है। श्रीमददेवी भागवत पुराण के अनुसार देवी जी का आह्वान सुबह के समय पर उचित रहता है। मान्यतानुसार घटस्थापना को चित्रा नक्षत्र वैधृति योग में करना वर्जित माना जाता है। 30 मार्च रविवार 2025 को सुबह चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि उदय व्यापिनी है। इस दिन घटस्थापना की जायेगी। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार अभिजीत मुहूर्त में घटस्थापना शुभदायक माना जाता है। 30 मार्च रविवार 2025 को अभिजीत मुहूर्त सुबह 12बजकर 01 मिनट से लेकर 01बजकर 50 मिनट तक रहेगा। घटस्थापना के लिए 50मिनट का यह समय शुभ मुहूर्त उत्तम रहेगा। घटस्थापना के साथ ही देवी भगवती अम्बा दुर्गा का पूजन किया जाता है । धार्मिक मान्यतानुसार दुर्गा उपासना द्वि स्वभाव लग्न में करना उत्तम रहता है। द्वि स्वभाव लग्न 30 मार्च को सुबह 06बजकर 03मिनट से 07बजकर 09 मिनट तक का समय भी घटस्थापना के लिए उत्तम रहेगा। हमारे शास्त्रों में कलश को तीर्थों का प्रतिकात्मक माना जाता है। कलश स्थापना के साथ देवी मां भगवती दुर्गा का आह्वान भी किया जाता है। मान्यतानुसार कलश के अलग अलग भागों में त्रिदेवों का वास होता हो। कलश के श्रीमुख पर भगवान विष्णुजी, कलश के कंठ पर भगवान भोलेनाथ शिवजी तथा कलश के मूलभाग में ब्रम्हेवजी का वास माना जाता है।कलश के मध्य भाग में मातृ शक्तियों का वास माना जाता है। नवरात्र के प्रथम दिवस पर घटस्थापना करने के साथ ही देवी देवताओं का घरों में आह्वान किया जाता है। नवरात्र का यह पवित्र पर्व माता दुर्गा की भक्ति शक्ति की उपासना के लिए विशेष रहता है। देवी मां के भक्तगण नौ दिनों तक देवी की नौ अलग अलग स्वरूपों की पूजा आराधना करते हुए आध्यात्मिकता में लीन मग्न रहते है। नवरात्र के पूरे नौ दिनों तक वातावरण भक्तिमय हो जाता है। चैत्र नवरात्रि इस बार 30 मार्च से शुरू होकर 06 अप्रैल 2025को श्रीरामनवमीं पर संपन्न होगी। चैत्र नवरात्र के प्रथम दिवस हिन्दू नववर्ष का शुभारंभ भी होता है। इस दिन गुड़ी पाड़वा, उगादी का पर्व भी मनाया जाता है। नवरात्रि में देवी अम्बा दुर्गा माता की पूजा आराधना से नकारात्मकता दूर होकर जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है। भक्तों को भक्ति शक्ति ज्ञान समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस वर्ष नवरात्र विशेष फलदायी होगी, देवी का वाहन हाथी शुभता समृद्धि का प्रतीक माना जाता है देवी माता इस नवरात्र में हाथी की सवारी पर आ रही है। ( नोट-: यह लेख मान्यताओं पर आधारित है। इसमें बताई गई समय तिथि मुहूर्त में भेद भी हो सकता है। समय मुहूर्त के लिए ज्ञानी विद्वान ब्राह्मण ज्योतिष की सलाह ले सकते है।) सभी को चैत्र वासंतीय नवरात्र की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं ।।
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